निर्भया कांड के 8 साल पूरे: देश में महिलाओं के प्रति कम नहीं हुई क्रूरता, 8 साल बाद भी नहीं बदले हालात
निर्भया कांड की बरसी पर उनके पिता ने कहा की उनकी बेटी से बलात्कार और हत्या मामले में दोषियों का अंजाम भले ही सब देख चुके हों, लेकिन देश की सड़कों पर महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को देखकर लगता है कि कुछ नहीं बदला है.
दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ हुई हैवानियत को आज 8 साल गुजर चुके हैं. लेकिन इंसाफ की लड़ाई लड़ने वालों के दिलों दिमाग में उस दर्द के जख्म अभी भी गहरे हैं. भले ही निर्भया के दोषियों को सजा मिल चुकी हो लेकिन आज भी उस दरिंदगी को याद कर लोगों की रुंह कांप उठती है. दिल्ली में इस साल अक्टूबर तक रेप के 1,429 मामले सामने आए हैं। पिछले साल इसी अवधि में दिल्ली में रेप के 1,884 मामले सामने आए थे, जो साल खत्म होने तक बढ़कर 2,168 मामले हो गए। 2012 में कुल 706 रेप केस दर्ज किए गए थे, जिसमें 16 दिसंबर को निर्भया के साथ नृशंस गैंगरेप भी शामिल था।
वहीं इस हादसे के सबसे ज्यादा दुख सहने वाले निर्भया के माता-पिता आज भी उस हादसे को सुनकर सिहर उठते हैं. भले ही लंबे समय के बाद दरिंदों को सजा मिल चुकी हो..लेकिन आज भी निर्भया के माता-पिता का संघर्ष खत्म नहीं हुआ है.
वहीं निर्भया कांड की बरसी पर उनके पिता ने कहा की उनकी बेटी से बलात्कार और हत्या मामले में दोषियों का अंजाम भले ही सब देख चुके हों, लेकिन देश की सड़कों पर महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को देखकर लगता है कि कुछ नहीं बदला है.ये हालात दिन प्रतिदिन और बिगड़ते जा रहे हैं
दरअसल 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली की एक चलती बस में 6 दरिंदों ने निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म जैसे घिनौनी वारदात को अंजाम दिया था, हैवानियत के बाद उसे सड़क किनारे फेंक दिया था. 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.वहीं लंबे समय बाद इस मामले में छह में से चार दोषियों को इसी साल फांसी की सजा दे दी गई. दोषियों में से एक ने मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ ही दिन बाद तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. जबकि एक किशोर को तीन साल सुधार गृह में गुजारने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था.
देश में बलात्कार के बढ़ते मामलों को देखते हुए हर किसी के मन में एक सवाल जरूर उठता है कि आखिर 2012 के वीभत्स निर्भया कांड के खिलाफ में जो आवाज उठी थी, उसका असर आज कितना दिख रहा है और समाज में क्या बदलाव आया है। यदि कानून भी कड़े कर दिए जाएं तो क्या बलात्कार जैसी आपराधिक घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है। निर्भया कांड के बाद भी देश में उन्नाव, हरदोई, मुजफ्फरपुर, हैदराबाद, हाथरस, झारखंड जैसे रेप या गैंगरेप के मामले सामने आते रहे हैं। जिस पर कुछ दिनों आक्रोश भड़कता है या राजनीति होती है। उसके बाद ये मामले ठंडे बस्ते में चले जाते हैं।